हर रोज की ये आदत आपकी उम्र घटा रही है – वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

हम सभी चाहते हैं कि हमारी उम्र लंबी हो, हम स्वस्थ रहें और ज़िंदगी को खुलकर जिएं। लेकिन कई बार हमें पता भी नहीं चलता और हम रोज़ कुछ ऐसे काम कर रहे होते हैं, जो धीरे-धीरे हमारे शरीर को अंदर से कमजोर बना रहे होते हैं। ये आदतें इतनी आम होती हैं कि हमें लगता है इससे क्या फर्क पड़ेगा। लेकिन विज्ञान ने अब साफ़ कर दिया है कि कुछ छोटी-छोटी आदतें भी हमारी उम्र पर बड़ा असर डालती हैं।

आइए जानते हैं उन आदतों के बारे में, जो रोज़ हम दोहराते हैं और जाने-अनजाने अपनी सेहत को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

Lifespan is decreasing – scientists revealed

सुबह उठते ही मोबाइल देखना

आजकल लगभग हर कोई सुबह उठते ही सबसे पहले मोबाइल फोन उठाता है। अलार्म बंद करते ही हम सीधा सोशल मीडिया, खबरें या मैसेज देखने लगते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि सुबह के पहले आधे घंटे में मोबाइल या किसी भी स्क्रीन को देखने से दिमाग पर ज़ोर पड़ता है और तनाव बढ़ता है।

तनाव के कारण शरीर में एक रसायन निकलता है, जिसे कॉर्टिसोल कहते हैं। इसका स्तर अगर हर दिन बढ़ा रहे, तो यह दिल, दिमाग और त्वचा पर बुरा असर डालता है। यही नहीं, इससे जल्दी बूढ़ा होने की प्रक्रिया भी तेज़ हो जाती है।

ज़्यादा देर तक बैठे रहना

अगर आप ऑफिस में घंटों कुर्सी पर बैठे रहते हैं या घर पर भी बैठकर ही काम करते हैं, तो यह आदत बहुत खतरनाक हो सकती है। एक शोध में बताया गया है कि जो लोग दिनभर 8 से 10 घंटे तक बिना हिले-डुले बैठे रहते हैं, उनकी उम्र कम हो सकती है।

जब हम लंबे समय तक बैठते रहते हैं तो शरीर का खून सही तरीके से नहीं दौड़ पाता, मांसपेशियाँ कमज़ोर पड़ने लगती हैं और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए हर एक-दो घंटे में थोड़ा चलना, खड़ा होना या थोड़ा शरीर को हिलाना ज़रूरी है।

कम नींद लेना

“नींद तो बाद में ले लेंगे, अभी तो काम करना है।”
ऐसा सोचने वाले लोग ज़्यादा नहीं टिकते। नींद सिर्फ आराम नहीं है, ये शरीर की मरम्मत का समय होता है। जब हम सोते हैं, तो शरीर अपनी खराब कोशिकाओं को ठीक करता है, दिमाग को तरोताज़ा करता है और रोगों से लड़ने की ताकत तैयार करता है।

अगर कोई व्यक्ति रोज़ 6 घंटे से कम सो रहा है, तो उसकी याददाश्त कमजोर हो सकती है, त्वचा पर झुर्रियाँ जल्दी आ सकती हैं और उसे बार-बार बीमारियाँ पकड़ सकती हैं। इसलिए 7 से 8 घंटे की पूरी नींद हर दिन ज़रूरी है।

हर वक्त चिंता करना

चिंता करना आजकल आम बात हो गई है – नौकरी की चिंता, पैसे की चिंता, भविष्य की चिंता। लेकिन ये चिंता धीरे-धीरे हमारे शरीर को खा जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार तनाव में रहने से शरीर में कुछ हानिकारक रसायन बनने लगते हैं, जो हमारे अंगों को धीरे-धीरे कमजोर बना देते हैं।

चिंता से दिल की बीमारी, पेट की दिक्कतें, नींद न आना और बाल झड़ने जैसी समस्याएँ होती हैं। सबसे ज़्यादा असर हमारे दिल और दिमाग पर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि हम थोड़ी-थोड़ी देर में साँस गहरी लें, हल्के-फुल्के व्यायाम करें और मन को शांत रखने की कोशिश करें।

हर थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाना

आजकल लोग टीवी देखते हुए, मोबाइल चलाते हुए या यूँ ही बोर होकर कुछ न कुछ खाते रहते हैं। चाय के साथ बिस्कुट, टीवी के साथ चिप्स, और दिनभर में कई बार मीठा – ये सब हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक है।

हर बार कुछ खाने से शरीर में शक्कर का स्तर ऊपर-नीचे होता रहता है, जिससे मोटापा बढ़ता है और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। और सबसे बड़ी बात – इससे शरीर जल्दी थकने लगता है और उम्र की रफ्तार बढ़ जाती है।

पानी कम पीना

बहुत से लोग दिनभर में सिर्फ 2-3 गिलास पानी ही पीते हैं। ये आदत शरीर को धीरे-धीरे सुखा देती है। पानी की कमी से खून गाढ़ा होने लगता है, जिससे दिल को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। साथ ही, शरीर के ज़हरीले तत्व बाहर नहीं निकल पाते।

कम पानी पीने से त्वचा मुरझा जाती है, थकान बनी रहती है और बुज़ुर्गों जैसी कमजोरी महसूस होने लगती है। इसलिए कोशिश करें कि दिनभर में कम से कम 7-8 गिलास पानी ज़रूर पिएँ।

नतीजा क्या निकलता है?

वैज्ञानिकों का साफ कहना है कि ये रोज़ की आदतें धीरे-धीरे शरीर को बूढ़ा बना देती हैं, चाहे आपकी असली उम्र कुछ भी हो। ये ऐसी चीज़ें हैं जो एक-दो दिन में असर नहीं दिखातीं, लेकिन सालों तक इन्हें दोहराने से शरीर की ताकत और उम्र पर सीधा असर पड़ता है।

अब क्या करें?

अगर आप सच में लंबी, स्वस्थ और सक्रिय ज़िंदगी जीना चाहते हैं, तो इन आदतों पर ध्यान देना शुरू कीजिए:

  • सुबह उठते ही मोबाइल से दूरी बनाइए
  • हर 1 घंटे में थोड़ा चलिए
  • नींद को मज़ाक मत समझिए
  • मन शांत रखने की आदत डालिए
  • बेवजह खाना छोड़िए
  • और पानी को अपना दोस्त बनाइए

क्योंकि असली समझदारी यही है — बड़े नुकसान से पहले, छोटी आदतों को सुधार लेना।

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