आज के दौर में मोबाइल फोन हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। सुबह आंख खुलते ही सबसे पहला काम मोबाइल देखना और रात को सोने से पहले आखिरी काम भी वही। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह आदत हमारी याद्दाश्त पर क्या असर डाल रही है? हालिया वैज्ञानिक शोधों के मुताबिक, मोबाइल का ज़्यादा इस्तेमाल हमारी मानसिक क्षमताओं पर नकारात्मक असर डाल सकता है। आइए जानते हैं इस पर साइंस का क्या कहना है।

डिजिटल डिपेंडेंसी – एक नया खतरा
मोबाइल की वजह से हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरतें आसान ज़रूर हो गई हैं, लेकिन इसके चलते हम अपनी सोचने और याद रखने की प्राकृतिक शक्ति का कम इस्तेमाल करने लगे हैं। अब हम रास्ते याद नहीं रखते, फोन नंबर नहीं याद रखते, यहां तक कि ज़रूरी काम भी नोट्स में लिखे बिना याद नहीं रहते। इसे ‘डिजिटल अम्नेशिया’ (Digital Amnesia) कहा जाता है।
क्या है डिजिटल अम्नेशिया?
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें इंसान अपने मोबाइल या दूसरे डिजिटल उपकरणों पर इतना निर्भर हो जाता है कि उसकी याद्दाश्त कमजोर होने लगती है। 2015 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 91% लोग अपने स्मार्टफोन पर जानकारी स्टोर करते हैं, और उनमें से अधिकांश उस जानकारी को खुद याद नहीं रखते।
मस्तिष्क पर प्रभाव कैसे पड़ता है?
हमारा दिमाग एक मांसपेशी की तरह काम करता है – जितना ज्यादा इसका इस्तेमाल करेंगे, उतना मजबूत बनेगा। लेकिन जब हम हर छोटी बात के लिए मोबाइल पर निर्भर हो जाते हैं, तो हमारा मस्तिष्क निष्क्रिय हो जाता है। इससे लॉन्ग-टर्म मेमोरी कमजोर होती है और याद रखने की क्षमता कम हो जाती है।
स्मार्टफोन और ध्यान में कमी
सिर्फ याद्दाश्त ही नहीं, मोबाइल का अधिक उपयोग हमारे ध्यान केंद्रित करने की शक्ति को भी प्रभावित करता है। लगातार नोटिफिकेशन, सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग और मल्टीटास्किंग की आदत हमारी फोकस करने की आदत को कमज़ोर बनाती है। 2021 में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास द्वारा की गई एक स्टडी में पाया गया कि अगर मोबाइल पास में रखा हो, तो इंसान की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता 20-25% तक घट सकती है।
बच्चों और किशोरों पर गहरा असर
बच्चों और टीनएजर्स पर इसका असर और भी गंभीर होता है। उनके दिमाग का विकास जारी रहता है और इस दौरान ज़्यादा स्क्रीन टाइम उनकी स्मृति, एकाग्रता और सीखने की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। कई रिसर्च यह भी बताती हैं कि डिजिटल डिवाइस पर ज़्यादा समय बिताने वाले बच्चों में मानसिक थकावट और चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है।
क्या करें? – कुछ आसान उपाय
- डिजिटल डिटॉक्स: दिन में कुछ समय मोबाइल से पूरी तरह दूर रहें। हर दिन कम से कम एक घंटा मोबाइल और स्क्रीन से ब्रेक लें।
- याद रखने की कोशिश करें: छोटी-छोटी चीजें जैसे फोन नंबर, रास्ते या ज़रूरी तारीखें खुद याद रखने की आदत डालें।
- मेडिटेशन और ब्रेन एक्सरसाइज़: दिमाग को सक्रिय रखने के लिए ध्यान, पज़ल्स, मेमोरी गेम्स जैसे अभ्यास करें।
- सोशल मीडिया टाइम लिमिट: फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे ऐप्स के लिए समय निर्धारित करें ताकि ज़रूरत से ज़्यादा न हो।
मोबाइल हमारी ज़िंदगी का एक ज़रूरी हिस्सा है, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग हमारे मस्तिष्क के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। याद्दाश्त की कमजोरी, ध्यान की कमी और मानसिक थकावट इसके प्रमुख लक्षण हैं। ज़रूरी है कि हम डिजिटल सुविधाओं का संतुलित उपयोग करें और अपने मस्तिष्क को सक्रिय बनाए रखें।
क्योंकि अगर दिमाग ही साथ नहीं देगा, तो तकनीक भी हमारे किसी काम की नहीं रह जाएगी।
