भारत के सबसे प्रतिष्ठित और खूबसूरत स्मारकों में से एक, ताजमहल, हमेशा से ही रहस्य और विवादों का केंद्र रहा है। आमतौर पर इसे मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया गया एक मकबरा माना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में कुछ इतिहासकार और शोधकर्ता यह दावा कर रहे हैं कि यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर हो सकता है, जो भगवान शिव को समर्पित था। क्या इन दावों में कोई सच्चाई है? आइए जानते हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ और विवाद
ताजमहल के निर्माण से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज और मुगल शासकों का रिकॉर्ड बताते हैं कि इसका निर्माण 1632 ईस्वी में शाहजहाँ ने करवाया था। लेकिन कुछ इतिहासकार और शोधकर्ता दावा करते हैं कि इससे पहले यह “तेजो महालय” नामक एक हिंदू मंदिर था, जिसे बाद में मुगलों ने कब्जे में लेकर इसे मकबरे में बदल दिया।
इन दावों की शुरुआत 20वीं सदी में हुई जब भारतीय इतिहासकार पी.एन. ओक ने अपनी पुस्तक “ताजमहल: द ट्रू स्टोरी” में यह तर्क दिया कि ताजमहल वास्तव में एक शिव मंदिर था जिसे मुगलों ने हथिया लिया था। उन्होंने अपनी पुस्तक में कई तथ्यों और तर्कों को प्रस्तुत किया, जिनमें वास्तुशास्त्र और संस्कृत शिलालेखों के प्रमाण भी शामिल थे।
ताजमहल की वास्तुकला और हिंदू मंदिरों से समानता
पी.एन. ओक और अन्य शोधकर्ताओं ने ताजमहल की वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए कुछ ऐसे बिंदु उठाए हैं जो इसे एक हिंदू मंदिर के रूप में प्रस्तुत करते हैं:
ओक्टागोनल (अष्टकोणीय) संरचना: भारतीय मंदिरों में ऐसी संरचना आम होती है, जबकि मुगल मकबरों में यह दुर्लभ है।
गर्भगृह जैसी संरचना: मंदिरों में आमतौर पर गर्भगृह होता है, जहां मुख्य देवता की मूर्ति स्थापित होती है। ताजमहल के भीतर भी एक गहरी कक्ष जैसी संरचना है।
काले और सफेद संगमरमर का उपयोग: यह हिंदू मंदिरों की विशिष्ट विशेषता मानी जाती है।
संस्कृत शिलालेख: कुछ दावे किए गए हैं कि ताजमहल के अंदरूनी हिस्सों में संस्कृत शिलालेख छुपाए गए हैं।
शिवलिंग जैसे प्रतीक: कई जगहों पर हिंदू प्रतीकों की झलक मिलती है, जैसे कमल की आकृति और त्रिशूल जैसी नक्काशी।
सरकारी और ऐतिहासिक दृष्टिकोण
भारत सरकार और कई प्रसिद्ध इतिहासकार इन दावों को प्रमाणित नहीं मानते। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का कहना है कि ताजमहल पूरी तरह से एक इस्लामिक मकबरा है, और इसे हिंदू मंदिर मानने का कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार इन दावों को खारिज कर दिया है।
हालांकि, कई हिंदू संगठनों और शोधकर्ताओं की मांग है कि सरकार इस मामले की गहराई से जांच करे और ताजमहल के बंद दरवाजों और तहखानों को खोलकर सच्चाई को सार्वजनिक करे।
वर्तमान स्थिति और वैज्ञानिक अनुसंधान
अभी तक वैज्ञानिक शोधों में ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है जो यह साबित कर सके कि ताजमहल एक प्राचीन हिंदू मंदिर था। लेकिन इस विषय पर बहस लगातार जारी है और इसे लेकर समय-समय पर नए तथ्य और रिसर्च सामने आते रहते हैं।
ताजमहल के बारे में शिव मंदिर होने का दावा एक दिलचस्प और विवादास्पद विषय बना हुआ है। इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के बीच इस पर मतभेद हैं, लेकिन अब तक उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार इसे शाहजहाँ का मकबरा ही माना जाता है। जब तक कोई ठोस और अकाट्य प्रमाण नहीं मिलते, तब तक इसे एक ऐतिहासिक स्मारक और प्रेम की निशानी के रूप में ही स्वीकार करना अधिक तर्कसंगत होगा। फिर भी, यह बहस आने वाले वर्षों में भी जारी रहने की संभावना है।
