भारत में कई रहस्यमयी जगहें हैं, लेकिन राम सेतु (Adam’s Bridge) सबसे अधिक चर्चाओं में रहने वाले स्थानों में से एक है। यह भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में स्थित एक प्राचीन पुल है, जिसे लेकर धार्मिक ग्रंथों, वैज्ञानिक शोधों और ऐतिहासिक तथ्यों में भिन्न-भिन्न मत हैं। तो आखिर राम सेतु इंसानों द्वारा बनाया गया था या यह एक प्राकृतिक संरचना है? आइए, इसे विज्ञान और पुराणों के नजरिए से समझते हैं।
रामायण के अनुसार, जब भगवान राम लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे, तब उन्होंने अपनी वानर सेना की मदद से समुद्र पर एक पुल बनाया था। इस पुल का निर्माण नल और नील नामक वानरों ने किया था, जो पानी पर तैरने वाले पत्थरों से बना था। वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि इस पुल को बनाने में 5 दिन लगे थे। राम सेतु को ‘सेतुबंधन’ भी कहा जाता है, और इसे भगवान राम की सेना के श्रीलंका जाने का एकमात्र मार्ग माना जाता है। हजारों सालों से रामायण के इस प्रसंग को एक ऐतिहासिक घटना माना जाता रहा है और भारतीय संस्कृति में इसका विशेष महत्व है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, राम सेतु का निर्माण हजारों साल पहले हुआ था, लेकिन इसके प्राकृतिक या कृत्रिम होने पर मतभेद हैं। नासा ने 2002 में कुछ सैटेलाइट तस्वीरें जारी कीं, जिनमें भारत और श्रीलंका के बीच पानी के नीचे चट्टानों की एक श्रृंखला दिखाई दी। इसने यह सिद्ध किया कि यह कोई साधारण संरचना नहीं है, बल्कि एक पुरानी भू-आकृति (geological formation) है। भारतीय वैज्ञानिकों के अनुसार, राम सेतु के पत्थर करीब 7000 साल पुराने हैं, लेकिन नीचे की बालू (sand formations) की उम्र उससे अधिक, लगभग 4000 साल पुरानी है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक प्राकृतिक संरचना हो सकती है, जो समय के साथ बदलती रही है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इसमें कृत्रिम हस्तक्षेप के संकेत मिलते हैं, जिससे यह मानव-निर्मित पुल होने की संभावना को बल मिलता है।

राम सेतु आज भी भारत और श्रीलंका के बीच स्थित है, लेकिन यह समुद्र के नीचे डूब चुका है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और भूवैज्ञानिक विभाग ने राम सेतु के अवशेषों का अध्ययन किया है। यह पुल कभी शायद समुद्र के ऊपर था, लेकिन समय के साथ यह समुद्र में समा गया।
राम सेतु को लेकर कई बार विवाद उठे हैं। 2007 में भारत सरकार ने इसे “प्राकृतिक संरचना” बताया और इसे हटाने की योजना बनाई, लेकिन हिंदू संगठनों के विरोध के बाद इसे रोक दिया गया। अयोध्या मामले की तरह, यह भी एक धार्मिक, ऐतिहासिक और वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है।
राम सेतु आज भी धार्मिक, ऐतिहासिक और वैज्ञानिक रहस्यों से घिरा हुआ है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह भगवान राम द्वारा बनाया गया एक पुल है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक प्राकृतिक भू-आकृति हो सकती है, लेकिन इसके पत्थरों की उम्र और बनावट इसे एक रहस्यमयी संरचना बनाती है। नासा और भारतीय शोध संस्थानों की रिपोर्ट में भी यह पुष्टि हुई है कि यह पुल हजारों साल पुराना है और इसका अध्ययन अभी भी जारी है।
तो क्या राम सेतु वास्तव में इंसानों द्वारा बनाया गया था?
इसका जवाब आज भी पूरी तरह से नहीं मिला है, लेकिन विज्ञान और पुराण दोनों में इसके होने का प्रमाण जरूर मिलता है!
आपका क्या मानना है?
क्या आपको लगता है कि राम सेतु मानव-निर्मित है या यह एक प्राकृतिक संरचना है? अपने विचार हमें कमेंट में जरूर बताएं!
