हम सभी ने कभी न कभी ऐसी जगहों के बारे में सुना है, जिन्हें ‘भूतिया’, ‘डरावना’ या ‘अशुभ’ कहा जाता है। गांवों की सुनसान हवेलियाँ, जंगलों के बीच बसे पुराने बंगले या फिर वीरान हो चुके अस्पताल — ऐसी जगहों की कहानियाँ पीढ़ियों से लोगों के मन में डर और जिज्ञासा पैदा करती आई हैं।
लेकिन क्या सच में उन जगहों पर कुछ “अलौकिक” होता है? या फिर यह सब सिर्फ हमारी कल्पना का खेल है?
हाल ही में वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी जगहों पर जाकर अध्ययन किया, जिन्हें लोग दशकों से भूतिया मानते आए हैं। इस अध्ययन के बाद जो तथ्य सामने आए, वे चौंकाने वाले हैं — और यही सवाल उठता है: क्या इन जगहों के पीछे वाकई कोई विज्ञान छुपा है?

भूतिया जगहों का विज्ञान से क्या नाता?
बहुत सी भूतिया जगहों पर लोगों को अक्सर कुछ समान अनुभव होते हैं:
- अजीब सी ठंडक
- सिर भारी होना या चक्कर आना
- अचानक डर लगना या किसी की मौजूदगी महसूस होना
- मशीनों का अचानक बंद हो जाना
इन अनुभवों को लोग भूत-प्रेतों से जोड़ देते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों ने इन सबका विश्लेषण कर यह जानने की कोशिश की कि क्या वास्तव में कुछ “अदृश्य” वहां मौजूद होता है — या फिर इसका कारण कुछ और ही है।
वैज्ञानिकों ने क्या खोजा?
1. इनफ्रासाउंड – ऐसी आवाज़ जो आप नहीं सुन सकते
शोधकर्ताओं ने पाया कि कई डरावनी जगहों पर बेहद कम आवृत्ति वाली ध्वनियाँ मौजूद होती हैं, जिन्हें “इनफ्रासाउंड” कहा जाता है। ये ध्वनियाँ इंसानी कानों को सुनाई नहीं देतीं, लेकिन ये हमारे शरीर और मस्तिष्क पर प्रभाव डालती हैं।
इनसे:
- दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है
- घबराहट महसूस होती है
- और कभी-कभी हल्की मतली भी आती है
यही वह अनुभव होता है जिसे हम “भूत की मौजूदगी” समझ बैठते हैं।
2. विद्युत-चुंबकीय तरंगें
कुछ पुरानी इमारतों में पुराने तार, धातुएँ या वातावरण में विशेष चुंबकीय क्षेत्र पाए गए हैं।
इन विद्युत-चुंबकीय तरंगों के प्रभाव से इंसान के मस्तिष्क में भ्रम की स्थिति बन सकती है — जैसे:
- किसी की परछाई दिखना
- अपने पास किसी के खड़े होने का आभास
- या किसी अदृश्य चीज़ से संपर्क महसूस होना
अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में किए गए प्रयोग में यह पाया गया कि तेज़ विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र वाले कमरों में लोगों को सबसे ज़्यादा डर और “अलौकिक अनुभव” हुए।
3. कार्बन मोनोऑक्साइड – धीमा ज़हर
कई बार बंद पड़े पुराने घरों में गैस लीकेज जैसी स्थितियाँ होती हैं।
विशेष रूप से “कार्बन मोनोऑक्साइड” जैसी गैसें शरीर को नुकसान पहुँचाती हैं और मस्तिष्क पर असर डालती हैं।
इसके लक्षण हैं:
- भ्रम की स्थिति
- आवाज़ें सुनाई देना
- चेतना का कम होना
ऐसे में अगर कोई व्यक्ति अकेला हो और उसे ये लक्षण महसूस हों, तो वह इन्हें किसी आत्मा की मौजूदगी समझ सकता है।
क्या इसका मतलब है कि भूत जैसी चीज़ें नहीं होतीं?
यह कहना सही नहीं होगा कि सिर्फ विज्ञान ही हर चीज़ को पूरी तरह समझ चुका है।
आज भी कई घटनाएँ ऐसी होती हैं, जिनका वैज्ञानिक स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया है।
लेकिन यह ज़रूर सच है कि बहुत सारी ‘भूतिया’ कही जाने वाली घटनाओं के पीछे वैज्ञानिक कारण होते हैं — और जब इनपर ध्यान दिया जाता है, तो डर अपने आप कम हो जाता है।
कुछ जगहों के केस स्टडी
Bhangarh Fort (राजस्थान)
भारत की सबसे मशहूर ‘भूतिया’ जगह मानी जाती है।
वहाँ पर मोबाइल सिग्नल नहीं आता, हवा में अजीब सी स्थिरता है और कई लोगों ने सिर दर्द या घबराहट महसूस की है।
कुछ वैज्ञानिकों ने बताया कि वहाँ की चट्टानों और संरचना से निकलने वाली चुंबकीय तरंगे, शरीर और दिमाग को प्रभावित कर सकती हैं।
Eastern State Penitentiary (अमेरिका)
एक पुराना जेल, जिसे सबसे ज़्यादा ‘haunted’ कहा जाता है।
वहाँ इनफ्रासाउंड की मौजूदगी पाई गई, जो बंद दरवाज़ों के बीच टकराकर एक अनसुना डर पैदा करता है।
जिसे हम ‘भूतिया जगह’ मानते हैं, वहाँ अक्सर कुछ ऐसा होता है जो हमारी इंद्रियों को चुनौती देता है — और विज्ञान उन्हीं संकेतों को पकड़ने में लगा है।
भूत-प्रेत के नाम पर जो कहानियाँ हमने सुनी हैं, उनमें कुछ सच्चाई हो भी सकती है, लेकिन बहुत बार हम जिस डर को ‘अलौकिक’ मानते हैं, वह दरअसल हमारे मन और वातावरण के बीच का खेल होता है।
तो अगली बार जब आप किसी डरावनी जगह जाएँ — तो डरें नहीं, बल्कि वहाँ के माहौल को ध्यान से समझने की कोशिश करें। हो सकता है, आपको भी कोई वैज्ञानिक संकेत मिल जाए!
