कभी आपने सोचा है कि पूरी दुनिया में ऐसा भी कोई इंसान हो सकता है जो न किसी से बात करता है, न कोई दोस्त है, न परिवार — और वो भी दशकों से? यह कोई फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। ब्राज़ील के अमेज़न जंगलों में रहने वाला एक व्यक्ति ऐसा है जिसे “द मैन इन द होल” या “गड्ढों वाला आदमी” कहा जाता है। इस इंसान की कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। यह इंसान दुनिया का सबसे अकेला व्यक्ति माना जाता है — और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वह आज भी ज़िंदा है। आइए जानते हैं उसका पूरा सच।

कौन है यह ‘अकेला आदमी’?
यह व्यक्ति ब्राज़ील के रोंडोनिया प्रांत के अमेज़न वर्षावन में अकेला रहता है। इसका असली नाम किसी को नहीं पता, न ही यह किसी से बात करता है। यह लगभग 1990 से पूरी तरह से अकेला जीवन बिता रहा है। इसके बारे में पहली बार तब पता चला जब ब्राज़ील की फनाई (FUNAI – Indigenous Affairs Department) संस्था ने अमेज़न के घने जंगलों में इस व्यक्ति की उपस्थिति को रिकॉर्ड किया।
‘गड्ढों वाला आदमी’ क्यों कहते हैं?
इस व्यक्ति के रहने की जगह के आसपास कई गड्ढे पाए गए। ये गड्ढे उसने खुद खोदे हैं – कुछ में खेती करने के लिए, कुछ शिकार पकड़ने के लिए और कुछ संभवतः धार्मिक या व्यक्तिगत कारणों से। किसी को नहीं पता कि वो इन गड्ढों का क्या मतलब समझता है, लेकिन इन्हीं गड्ढों की वजह से वह ‘The Man of the Hole’ के नाम से जाना गया।
उसकी जनजाति का क्या हुआ?
मानवविज्ञानियों का मानना है कि यह आदमी एक ऐसी जनजाति का अंतिम सदस्य है जिसे 1970 और 1980 के दशक में लकड़ी माफिया और किसानों द्वारा मार दिया गया। उस समय अमेज़न की ज़मीन पर कब्ज़ा करने के लिए वहां रहने वाली जनजातियों को क्रूरता से खत्म किया जा रहा था। माना जाता है कि उसकी जनजाति के सभी सदस्य मारे गए और यह अकेला व्यक्ति किसी तरह बच गया। तब से वह किसी से संपर्क नहीं करता, किसी पर भरोसा नहीं करता और पूरी तरह जंगल में रहता है।
क्या वो आज भी ज़िंदा है?
हां, ब्राज़ील की सरकारी संस्था फनाई उसे दूर से मॉनिटर करती है और उसके लिए कोई खतरा न हो, इसका ध्यान रखती है। उन्होंने उसके इलाके को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है ताकि कोई वहां न पहुंचे।
वह व्यक्ति किसी से संपर्क नहीं चाहता। कई बार उसे खाने के लिए फल, बीज और औजार दिए गए, लेकिन वह उन्हें बहुत सतर्कता से लेता है। कैमरों में रिकॉर्ड हुआ है कि वह पूरी तरह स्वस्थ है, खुद खेती करता है, और शिकार भी करता है। उसकी जीवनशैली बेहद सादगीपूर्ण और आत्मनिर्भर है।
क्या यह उसकी मर्ज़ी है?
कई लोग सोचते हैं कि शायद उसे जबरदस्ती अलग-थलग किया गया है, लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। उसने खुद यह जीवन चुना है। जब भी फनाई के लोग उसके पास गए, वह या तो छुप गया या कभी-कभी तीर चलाकर उन्हें भगाया।
इसका मतलब साफ है — वह अकेले रहना चाहता है। शायद उस पर हुए अत्याचारों ने उसे इंसानों से पूरी तरह तोड़ दिया है।
वैज्ञानिक और मानवविज्ञानी क्या सोचते हैं?
इस व्यक्ति की कहानी को एक अद्भुत मानव जीवन की मिसाल माना जाता है। मानवविज्ञानी कहते हैं कि ये आदमी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक पूरी सभ्यता का आखिरी जीवित प्रतीक है। उसकी जीवनशैली हमें दिखाती है कि इंसान बिना तकनीक, बिना भाषा, और बिना किसी सहारे के भी जीवित रह सकता है — लेकिन उसकी इस मजबूरी के पीछे एक दर्दनाक इतिहास छुपा है।
क्या भविष्य में उससे संपर्क किया जाएगा?
फनाई संस्था का स्पष्ट निर्णय है कि इस व्यक्ति से संपर्क नहीं किया जाएगा। ऐसा करना उसकी सुरक्षा और मानसिक स्थिति के लिए खतरनाक हो सकता है। उसे किसी बीमारी का भी डर है, क्योंकि बाहरी दुनिया के वायरस और बैक्टीरिया उसके लिए जानलेवा हो सकते हैं।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
- सभ्यताओं का अंत केवल किताबों में नहीं होता, वह हमारी आंखों के सामने भी हो सकता है।
- जब लालच बढ़ता है, तो सबसे पहले शिकार होती है प्रकृति और वहां की मासूम संस्कृति।
- हर इंसान को अपने जीवन का तरीका चुनने का हक़ है, चाहे वो कितना भी अलग क्यों न हो।
यह अकेला आदमी हमसे कुछ नहीं मांगता, कोई संदेश नहीं देता, लेकिन उसका अस्तित्व ही दुनिया के लिए एक बड़ा संदेश है। वह हमें याद दिलाता है कि विकास के नाम पर हम क्या खोते जा रहे हैं। वह इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि प्रकृति से कटकर नहीं, जुड़कर ही सच्चा जीवन जिया जा सकता है।
वह आज भी ज़िंदा है — अकेला, शांत और दुनिया से अनजान, लेकिन उसकी कहानी हर उस इंसान के दिल को छू जाती है जो समझता है कि इंसानियत केवल शहरी जीवन में नहीं, जंगल की खामोशी में भी सांस लेती है।
