हम अकसर सोचते हैं कि सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता केवल दिमाग वाले जीवों में ही होती है। लेकिन विज्ञान ने हाल ही में ऐसा खुलासा किया है जिसने इस धारणा को पूरी तरह हिला दिया है। एक ऐसा जीव है, जो न तो मस्तिष्क रखता है, न रीढ़ की हड्डी, लेकिन फिर भी यह फैसले ले सकता है, रास्ता खोज सकता है और समस्याओं का समाधान भी कर सकता है। विज्ञान की भाषा में इसे कहा जाता है – स्लाइम मोल्ड।

स्लाइम मोल्ड क्या है?
स्लाइम मोल्ड कोई एक विशेष जीव नहीं है, बल्कि यह एक तरह का अमेबॉयड जीव है, जो फफूंद की तरह दिखता है लेकिन पौधा, जानवर या फंगस – किसी भी श्रेणी में पूरी तरह फिट नहीं बैठता। सबसे प्रसिद्ध स्लाइम मोल्ड का नाम है Physarum polycephalum। यह पीले रंग का, रेंगने वाला जीव है जो नमी वाली सतहों पर फैलता है।
बिना दिमाग के फैसले कैसे?
अब सवाल यह उठता है – जब इसके पास कोई न्यूरल सिस्टम नहीं है, तो यह निर्णय कैसे लेता है? वैज्ञानिकों ने पाया कि यह जीव अपने वातावरण से मिल रहे संकेतों को समझकर, अपने शरीर में रसायनिक बदलाव करता है। यह बदलाव उसकी गति, दिशा और फैलाव को नियंत्रित करते हैं। मतलब, यह जीव अपने आसपास की स्थिति के अनुसार खुद को ढाल लेता है और सबसे कुशल रास्ता खोज लेता है।
वैज्ञानिक प्रयोग और हैरान करने वाले नतीजे
जापान के वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग में स्लाइम मोल्ड को एक भूल-भुलैया में रखा। उन्होंने देखा कि यह जीव सबसे छोटे रास्ते को चुनकर भोजन तक पहुंच गया, और वह भी बिना किसी दिमाग के! यह बिल्कुल वैसा ही था जैसे कोई प्रशिक्षित जीव बुद्धिमानी से सोचकर सबसे बेहतर निर्णय ले रहा हो। यह प्रयोग 2010 में दुनिया भर की वैज्ञानिक पत्रिकाओं में चर्चा का विषय बना।
इसके अलावा, यह जीव समय के साथ सीखने की क्षमता भी रखता है। एक अध्ययन में इसे कई बार हल्का करंट दिया गया, जब वह एक निश्चित सतह पर गया। कुछ समय बाद, उस सतह को देखते ही वह पीछे हटने लगा — यानी वह अनुभव से सीख गया था!
स्लाइम मोल्ड से क्या सीख सकते हैं हम?
यह जीव हमें यह सिखाता है कि निर्णय लेना केवल मस्तिष्क तक सीमित नहीं है। जानकारी को ग्रहण करना, उसे समझना और उसके आधार पर प्रतिक्रिया देना – ये सभी कार्य बिना मस्तिष्क के भी संभव हैं, अगर संरचना और व्यवस्था सही हो।
इसके अलावा, इससे हम तकनीक और रोबोटिक्स की दुनिया में भी नए विचार ले सकते हैं। वैज्ञानिक अब स्लाइम मोल्ड की कार्यप्रणाली को समझकर ऐसे कंप्यूटर और मशीनें बनाने की सोच रहे हैं जो कम संसाधनों में भी जटिल समस्याओं का हल निकाल सकें।
क्या यह जीव भविष्य के सुपरकंप्यूटर की कुंजी है?
कई वैज्ञानिक मानते हैं कि स्लाइम मोल्ड की जैविक प्रणाली को अगर हम कंप्यूटर मॉडल में बदल पाएं, तो यह हमें एक नई तरह की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दिशा में ले जा सकता है। इसकी डेटा प्रोसेसिंग की शैली पारंपरिक कंप्यूटरों से अलग है, और यह नेटवर्क सिस्टम्स और एल्गोरिदम की दुनिया में एक नया रास्ता खोल सकती है।
जब हम सोचते हैं कि सोचने के लिए दिमाग ज़रूरी है, तो स्लाइम मोल्ड जैसे जीव हमें चुनौती देते हैं। यह न केवल विज्ञान के लिए एक रहस्य है, बल्कि हमारी सोच की सीमाओं को भी बढ़ाता है। यह जीव दर्शाता है कि प्रकृति में ऐसे कई रहस्य हैं जिन्हें हम अभी तक पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं।
इस छोटे, अनदेखे से जीव ने साबित कर दिया है कि बुद्धिमत्ता केवल मस्तिष्क में नहीं होती – कभी-कभी, वह शरीर की हर कोशिका में बसी होती है।
